पुणे: भारत में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) 16 जनवरी, 1955 को उद्घाटन के बाद से अपने अस्तित्व को स्वीकार करते हुए इस वर्ष अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रही है. पुणे के खड़कवासला में स्थित त्रि-सेवा सैन्य प्रशिक्षण निकाय ने 2024 में कई गतिविधियों के साथ समारोह मनाया गया. इस दौरान समारोह में सीडीएस जनरल अनिल चौहान भी शामिल हुए.
न्यूज एजेंसी ANI ने कहा कि ‘सशस्त्र बलों में नेतृत्व आम तौर पर युद्ध या युद्ध में, या उसके लिए तैयार किया जाता है. किसी भी लड़ाई का नतीजा, वास्तव में, सबसे बड़े अभियान या लड़ाई में भागीदारी का सबसे छोटा रूप, मेरा मानना है कि यह तीन बड़े मूर्त तत्वों पर निर्भर है.’
#WATCH | At the 75th year celebrations of the National Defence Academy (NDA) in Pune, Maharashtra, CDS Gen Anil Chauhan says, “…Leadership in the armed forces is generally excised in combat or war, or as a run-up to it. The outcome of any combat, in fact, the smallest form of… pic.twitter.com/bEhvT3SWkn
— ANI (@ANI) January 16, 2024
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उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि ‘तीन बड़े मूर्त तत्व प्रौद्योगिकी, रणनीति और संगठनात्मक संरचनाएं हैं. हालांकि, सैन्य नेतृत्व का एक आम अमूर्त धागा है जो युद्ध के पूरे स्पेक्ट्रम में युद्ध जीतने वाले कारक के रूप में चलता है. युद्ध की प्रकृति के अनुसार नेतृत्व की आवश्यकताएं अलग-अलग होती हैं…’
क्या काम करता है NDA?
बता दें कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एक ऐसी संस्था है जो सैन्य उम्मीदवारों को राष्ट्र की सेवा करने के उनके सपनों को पूरा करने और सफल होने के लिए मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देती है. यह एक प्रमुख संयुक्त प्रशिक्षण संस्थान है जो तीन साल तक चलने वाला पाठ्यक्रम प्रदान करता है जो कैडेटों को भविष्य के युद्ध के मैदान में चुनौतियों का सामना करने और विजयी होने के लिए आवश्यक मानसिक, नैतिक और शारीरिक गुणों से लैस करता है.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 13:26 IST