मनीष पुरी/भरतपुर : किसानों के लिए मेहनत से बोई हुई फसल ही सब कुछ होती है. उसकी देखभाल के लिए किसान कुछ भी कर सकता है. ऐसा ही एक नजारा भरतपुर के बयाना क्षेत्र के गांव खरैरी-बागरैन इलाके में देखने को मिला है. जहां किसानों ने फसलों को निराश्रित गोवंश, नीलगाय, एवं सियारों आदि जंगली जानवरों से बचाने के लिए खेतों की मेड़ों पर रंग बिरंगी साड़ियों की बाड़ लगाई है. किसान सत्यवीर सिंह ठाकुर से बात करने पर उन्होंने बताया कि खेतों की मेड़ पर लकड़ी लगाकर उनके सहारे बांधी जाने वाली साड़ियां वैसे तो मजबूती के नाम पर कुछ भी काम की नहीं होती हैं.
शीत लहर से भी बचाती हैं साड़ियां
लेकिन इनके लहराने से मनुष्य की उपस्थिति का आभास होने और विविध रंगों की वजह से जंगली जानवर खेत की तरफ आने से दूर भागते हैं एवं खेतों से दूरी बनाकर रखते हैं. इसके साथ ही चारों तरफ साड़ियों की बाड़ लगने से फसलों को पाले और शीत लहर से भी बचाव हो जाता है. साड़ियों की आड़ होने से फसल न दिखने से भी जंगली जानवर खेतों की तरफ नहीं आते हैं. भरतपुर के इलाके में यह देसी तरीका कारगर भी साबित हो रहा है.
एक बीघे में बांध दी 15 साड़ियां
पूर्वी राजस्थान में निराश्रित गोवंश से फसलों के नुकसान की समस्या आम रहती है. रखवाली में भी इसका खर्चा भी जीरो आता है. खेत में बांधने के लिए किसान घर की महिलाओं की अनुपयोगी हुई साड़ियों को काम में लेते हैं. जिससे उन पर इस तरीके से फसल की रखवाली करने के लिए कोई अतिरिक्त खर्चा भी नहीं आता है. किसानों के मुताबिक करीब एक बीघा में 15 साड़ियां बांधी जाती हैं. बिना खर्चे में पूरा सुकून मिल जाता है. किसान बताते हैं कि एक साड़ी कम से कम दो फसल की रखवाली के बाद आंधी बारिश में खराब होती है.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 11:05 IST