12 सालों में 3 राज्यों के 100 कारीगरों ने तैयार किया भव्य जैन मंदिर, यहां विराजमान हैं 24 तीर्थंकर

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अंकित राजपूत/जयपुर : देशभर में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खुशी का माहौल है और जयपुर में भी इसे लेकर जबरदस्त तैयारियां चल रही है और जयपुर को ऐसे ही छोटी काशी नहीं कहा जाता. यहां भी लगातार भव्य मंदिरों के निर्माण का काम चलते रहता हैं. ऐसा ही जयपुर के गलता गेट पर बना श्वेतांबर जैन मंदिर जिसे बनने में 12 वर्ष का समय लगा.

मार्बल की अद्भुत नक्काशी से तैयार इस मंदिर को 200 फिट की उंचाई तक बनाया गया है. जिससे यह दूर से ही दिखाई देता है. अभी भी मंदिर में निर्माण का कार्य लगातार जारी है और आने वाले 1 साल तक इसका सम्पूर्ण कार्य होगा. यह राजस्थान के प्रमुख जैन मंदिरों में से एक भव्य मंदिर के रूप में अपनी अलग ही पहचान बना चुका है.

12 वर्ष में तीन राज्यों के 100 कारीगरों ने तैयार किया मंदिर
श्वेतांबर जैन मंदिर के निर्माण में 12 वर्ष का समय लगा और इस मंदिर को तैयार करने में उड़ीसा, गुजरात और राजस्थान के 100 कारीगरों ने मिलकर तैयार किया है. इस मंदिर निर्माण की सबसे खास बात यह है कि इसके निर्माण में चुना, ईट और स्टील का उपयोग नहीं किया गया. सिर्फ मार्बल के इस्तेमाल से ही पूरा मंदिर बनाया गया है.

मंदिर में श्वेत मार्बल की 56 इंच पदमासन प्रतिमा मुख्य गर्भ गृह में स्थापित हैं. मंदिर की नक्काशी सबसे बेहतरीन हैं जिनमें मंदिर के 76 पिलरों पर अप्सराओं की नक्काशियां बनाई गई है. जो सबसे सुंदर दिखाई देती है. मंदिर की शैली रणकपुर, देलवाड़ा, जीरावाला, भीनमाल, पालिताना, गिरनार व शिखरजी सहित अन्य मंदिरों को देखकर तैयार की गई है. मंदिर के हर कोने में सिर्फ मार्बल की बेहतरीन झलकियां ही दिखाई देती है जो बेहद सुंदर है.

मंदिर में स्थापित हैं भगवान आदिनाथ प्रतिमा
श्वेतांबर जैन मंदिर में प्रवेश के लिए मुख्य रूप से पांच द्वार है. सभी द्वारों पर भव्य मूर्तियां स्थापित की गई है. विशेष रूप से मंदिर के गृभगृह में भगवान आदिनाथ की 56 इंच की पदमासन प्रतिमा जो जयपुर में ही तैयार की गई थी. जिसे बनाने में 4 साल का समय लगा. साथ ही मंदिर में पाश्चर्वनाथ भगवान, महावीर स्वामी, शांतिनाथ, नेमिनाथ सहित अन्य प्रतिमाएं भी स्थापित है. साथ ही मंदिर में 24 तीर्थंकर भी विराजमान हैं.

इस मंदिर के सभी दरवाजों पर सोने का वर्क चढ़ा हुआ है. जो बेहद सुंदर दिखाई देता है. आपको बता दे इस मंदिर का निर्माण कुशलचन्द, विमलचन्द सुराणा और किशनचंद डागा के संयोजन और साध्वी मणिप्रभा श्रीजी महाराज के मार्गदर्शन में तैयार हुआ है. यह मंदिर लोगों के लिए खुल गया है और लोग इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से यहां पहुंच रहे हैं.

Tags: Jaipur news, Local18, Rajasthan news

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